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Thursday, 26 December 2013

एक छोडू न खुद का हाथ इतना एहसान काफी है

दुनिया देखे गलत नजरो से मुझे परवाह नहीं
डर लगता है खुद की नजरो में गिर जाने से
कोई न भी दे तो साथ तो कोई गम नहीं
डर लगता है भूल कर खुद को खुद में उलझ जाने से

ये दुनिया हर हालात में  मेरे साथ नहीं थी
देखा मैंने खुद को हर हाल से गुजरते है
दुनिया ने आंसू छुपाते मुस्कराते चेहरे को देखा है
देखा मने खुद को आंसुओं में भिखरते है

किसी को क्या पता किस मोड़ पे दिल दुखा था
संभाला खुद ही था खुद को उस मोड़ पर गिर जाने से
कहाँ उदास देख कर मुजको किसी ने गले से लगाया था
संभाला खुद ही था खुद को उस भीड़ में उलझ जाने से

कैसे कर लूँ उम्मीद कोई चाहेगा खुद से जादा
कायम रख लूँ खुद की चाहत इतना एहसान काफी है
कैसे कर लूँ उम्मीद कोई साथ रहेगा हर गम में
एक छोडू न खुद का हाथ इतना एहसान काफी है

दुनिया देखे गलत नजरो से मुझे परवाह नहीं
डर लगता है खुद की नजरो में गिर जाने से
कोई न भी दे तो साथ तो कोई गम नहीं
डर लगता है भूल कर खुद को खुद में उलझ जाने से

Friday, 16 August 2013

कहाँ भूल पाई हूँ मैं

कहाँ भूली हूँ मैं उन बंद सी गलिओं को आज भी
दिल में अब भी वो गुजरी हुई तस्वीर रखी है
न जाने कितना रास्ता है यहाँ से उन यादों का
पर दिल में वो अब भी उतनी ही पास रखी है
वो गुज़रा ज़माना मिटटी का
फीके से पड़े हैं खेल सभी
आज उड़ रही हूँ उस उड़ते जहाज़ में, जिसे देखती थी ज़मीन से कभी
पर देखों आंखें अब भी उस ज़मीन को तलाशती है
मैंने सभ कुछ पा लिया है वापिस सकून को तलाशती है
वो पैरो से उड़ाई धुल को, बारिश के पानी में चलाई कश्तिया जो
अब वो बारिश का पानी नहीं मिलता कश्ती चलाने को
आस पास देखूं मिटटी नहीं मिलती खिलोने बनाने को
कोई पास नहीं है अब, छीन कर कुछ खाने को
इतनी आजादी दी है मुजको, न जाने कोंसी अनदेखी बेइईओं में बाँध कर
कैसे जाउं वापिस, न जाने कोनसी दिवार को फांध कर
कोई ऐसा रास्ता दिखा दो जो वापिस जा पाऊँ मैं
जा कुछ ऐसा जादू कर दो जो सब कुछ भूल जाऊ मैं
ऐसे यादों के साथ रहना आसान नहीं है
दिल उसको ढूंडता है जो अब पास नहीं है
कहाँ भूली हूँ मैं उन बंद सी गलिओं को आज भी
दिल में अब भी वो गुजरी हुई तस्वीर रखी है

Tuesday, 30 July 2013

मेरी हर मुस्कराहट को मुस्कराहट मत समझना
हस्ती हूँ कभी मै ग़म को छुपाने के लिए
कोई उदास देखकर मुझको कहीं उदास न हो जाए
छुपाती हूँ खुद को कभी आंसूं छुपाने के लिए

Friday, 26 July 2013

क्या गलत है

ये दुनिया की राहें मुझे बांध लेती है
मैं छूट जाऊ जब इनसे तो उड़ पाती हूँ
अपने दिल की सुन लूँ तो आगे बढ़ पाती हूँ
एक ही रास्ते पर हर कोई तो नहीं चल सकता
कोई अलग बना लूँ रास्ता तो क्या गलत है
जो किसी एक ने कर लिया हासिल हर कोई तो नहीं कर सकता
किसी और चीज़ की हो चाहत तो क्या गलत है
दुनिया में ही रहना है जानती हूँ मैं
पर अपने तरीके से जी लूँ तो क्या गलत है
मुझे नहीं  दोडना दुनिया की दिशा हीन सी दोड़ में
आराम से चल कर पार कर लूँ रास्ते तो क्या गलत है

Thursday, 25 July 2013

फिकर है

जो दिल पर जखम है उसे संवारने में पूरी ज़िन्दगी निकल जानी है
और गहरे न हो घाव इतनी सी फिकर है
बह गए है अब तो आंसू भी बेहिसाब
सूख न जाए आंखें इतनी सी फिकर है

Tuesday, 23 July 2013

सोई रहूँ काश मैं

सोई रहूँ काश मैं कुछ ख़ाब बहुत सुहाने है  
न जगाना मुझे इस नींद से कुछ ख़ाब बहुत पुराने है
मुज सपनो में जीने वाली से कहाँ हकीक़त में जीया जाएगा
ये हकीक़त मुझे डराती है कहाँ ज़हर ये पीया जाएगा

Monday, 22 July 2013

कभी धुप कभी छाओं में मुझे सहारा मिल जाता है
डूभ जाती है नाव कभी, कभी किनारा मिल जाता है
यूँ तो भरी रहती है आंखें बिना बात के भी
चोट जो लगे कभी रोने का बहाना मिल जाता है
अधूरे छूटे शब्धो को जो वो पूरा करदे
बेरंग से पड़े है गीत कुछ, उनमे जो रंग भर दे
अनकही सी बातें कुछ यूँ बिना कहें ही हो जाएं
रुक जाए बात जो होठों पर, वो बात वो ही करदे

Thursday, 18 July 2013

बेहतर है आंसुओं को मोती बने ही रहने दूँ
जो किसी के सामने भर आयी आंखें, तो आंसूं पानी ना बन जाए
बेहतर है जज्बातों को अपने तक ही रहने दूँ
जो बता दिए किसी बेकदर को, इनकी कदर ना कम हो जाए
बेहतर है ज़िन्दगी को अपने तरीके से जीने दूँ
जो किसी और को थमा दी ज़िन्दगी, तो ज़िन्दगी जीना न भूल जाए
बेहतर है ज़िन्दगी को सपने में ही रहने दूँ
आंख खुली कभी तो ज़िन्दगी कटने तक न रह जाये
हर मोड़ ज़िन्दगी का मंजिल नहीं होती
उस मोड़ को पार कर एक नया रास्ता है
जो नज़रिया छोटा हो तो एक हार भी नाकाम कर जाती है
ज़रा रब की नज़र से देखो, शुरू नई दास्ताँ हर इम्तेहान के बाद होती है

Tuesday, 16 July 2013

जब नींद  ना आए कभी तो मुझे याद न करना
आंसूं बनकर शयद पलकों में उतर जाउंगी
कभी बेचेन जो हो दिल तो मुझे याद न करना
अब ख्यालो के सिवा कहीं और न आ पाऊँगी
कभी खाबों में भी मुझसे अब प्यार न करना
कुछ भी और नहीं बस इक दर्द देकर जाउंगी
कभी सोच कर मेरे बारे में खुद को परेशान न करना
तुम्हे उदास देख खुद को भी संभाल नहीं पाऊँगी
धोखा दिया है तुमको ये ऐतबार न करना
अब भी तुज संग राहों को मंजिल तक पहुन्चौंगी
जब नींद न आए कभी तो मुझे याद न करना
आंसूं बनकर शयद पलकों में उतर जाउंगी
हर हंसी को कहीं ख़ुशी ना समज लेना, मुस्कराहटें तो अक्सर गम छुपाने के काम आती है

Friday, 12 July 2013

ज़िन्दगी जीना भूल गए

ज़िन्दगी काटने में इतना वक़्त निकल गया
के जीने का तो कभी मोका ही नहीं मिला
और जब जीने का पाठ समज में आया
तो देखा ये किताब तो शुरू से अपने ही हाथ में थी
हवाओं के झोंको ने बस पन्ने पलट दिए
और खुद की खता भी देखो इतनी हिम्मत भी न थी के उन पन्नो को वापिस पलट दे
हिम्मत कर जो उन पन्नो को पलट कर देख लिया होता तो आज शयद खुद से कोई शिकायत नहीं होती
ज़िन्दगी हर मोड़ पर कुछ न कुछ सिखाया करती है
हसाती है कभी खुल के कभी चुपके से रुलाया करती है
कितना वक़्त हो गया हमे ज़िन्दगी के साथ चलते हुए
फिर भी क्यूँ कुछ ऐसा है जो ज़िन्दगी हमसे छुपाया करते है
कभी अकेले होकर भी कोई साथ महसूस होता है
ये भीड़ में तनहा दिल भी कहाँ महफूज़ होता है
कभी देखूं जहाँ में के दर्द कितने हैं
उतने आशिक नहीं हैं शायद, बेदर्द जितने हैं


Saturday, 6 July 2013

आंखें नहीं करती अज्नबीओं से बात


कभी गौर से देखना आँखों में तो उदासी नज़र आएगी
चेहरे की मुस्कराहट तो धोखा दे जाती है
ये आंखें ढूंड रही हैं बस एक ही चेहरे को
कहने को तो हजारो चेहरे आँखों से गुज़र जाते हैं

दिल की बातों को दिल में मैं इसलिए रखती हूँ
के कहाँ किसी अजनबी को इनकी कदर होती है
जो कोई समजता दिल को, तो आंखें ही कर लेती आँखों से बात
के लफ्जों की जरूरत तो अज्नाबीओं को होती है

Thursday, 4 July 2013

खबर नहीं

कुछ ऐसी राहों पर हम चल रहे हैं
जिनकी मंजिल क्या है ये तक खबर नहीं
ये जो लम्हा है वो गुज़र ही जाना है
कैसा होगा अगला लम्हा ये तक खबर नहीं
क्यूँ उदास है दिल न जाने क्या बेचेनी है
किस चीज़ की है परवाह ये तक खबर नहीं

Wednesday, 3 July 2013

Zindagi

क्यूँ ज़िन्दगी कभी तू इतनी मुश्किल होती है
हसाती है कभी इतना कभी क्यूँ इतनी उदास होती है
वजह हो रोने की तो दिल को समझा भी  लूँ
पर बिन वजह आय आंसुओं का खुद को क्या जवाब दूँ

इंतज़ार है किसी का दिल को या कुछ खुद से हुई गलतिया है
न जाने क्या बेचेनी है दिल में कभी समज नहीं पाती
लोगो में हसना और अकेले में रोना सीख लिया है
पर वजह हसने रोने की कभी समज नहीं आती

Thursday, 27 June 2013

जब तनहा चलते राहों में कोई सहारा मिल जाता है
जैसे बटकी हुई नाव को किनारा मिल जाता है
कहते है जोड़िया ऊपर से बनकर आती है
तब वो ऊपर छुटा साथी यहाँ दोबारा मिल जाता है

Monday, 24 June 2013

जब प्यार से ही प्यार होने लगा, सोचा ज़िन्दगी को चाहतों से सजा लूँ
जब चाहते खाबों में पूरी होने लगी, सोचा खाबों को ही ज़िन्दगी बना लूँ

Inspiration


एक रास्ता ख़त्म हो, नई राह खुद भ खुद तो नहीं बन जाती
अँधेरा छाया हो चारो और, रौशनी खुद तो चलकर नहीं आती
यूँ तो इतना भी मुश्किल नहीं मुश्किलों को पार करना
क्यूंकि रास्ते भी तब तक चलते रहते है जब तक मंजिल नहीं मिल जाती

Saturday, 22 June 2013

चाहतें

कभी यूँ सिमट कर खुद में ही, आगे बढ़ने की चाहत होती है
तो कभी युहीं टूट कर भिखर जाने को दिल चाहता है

कभी मुस्कराहट लेकर होठों पर, खुश होने की चाहत होती है
तो कभी अकेले में आंसू बहाने को दिल चाहता है

चाहतो का क्या जो कभी ख़तम ही ना  हुई
इसमें तो ख़ुशी और गम दोनों को पनाह मिली है

कभी समेट कर इन चाहतो को, छोड़ देने की चाहत होती है
तो कभी खोकर चाहतों में जी जाने को दिल चाहता है

Tuesday, 18 June 2013

आज फिर रोई क्यूंकि वो सच सामने आया जिसे जुठ्लाती जा रही थी
आज फिर रोई क्यूंकि वो चेहरा सामने आया जिसे खुद से छुपाती जा रही थी
आज आंखें भरी क्यूंकि उसी ने जवाब माँगा जिसके सहारे खड़ी थी
आज फिर रोई क्यूंकि कोई सपनो में बना महल टूट गया
आज फिर रोई क्यूंकि किसी ने मीठी नींद से जगा दिया
आज रोई क्यूंकि कोई समजने वाला नहीं था
आज रोई क्यूंकि कोई समजाने वाला नहीं था, कोई बहलाने वाला नहीं था
आज फिर रोई क्यूंकि कोई सँभालने वाला नहीं था

Sunday, 16 June 2013

कोई तो समज पाता मतलब कदम मिलाने का

काश कोई तो समज पाता, मलतब दुनिया में आने का
सिर्फ अपने लिए जीने को तो ज़िन्दगी नहीं कहते
काश कोई तो समज पाता, मतलब पाने और खोने का
सिर्फ दिखावे की चाहत को तो प्यार नहीं कहते
काश कोई तो समज पाता, मतलब कदम मिलाने का
सिर्फ साथ में चलते राही तो हमसफ़र नहीं कहलाते

Saturday, 15 June 2013

कोई दीवाना कहाँ बनता

दिल ने इज़ाजत जो रब से ली न होती, तो कोई दीवाना कहाँ बनता
आँखों ने बात जो आँखों से की न होती, तो कोई नजराना कहाँ बनता
गलतिया करने का यूँ तो दिल शोकीन होता है
पर ये खता जो दिल ने की न होती, तो कोई अफसाना कहाँ बनता

यादें ओर ये इंतज़ार

तेरी यादों को बीतें लम्हो से छीन लाया करती हूँ
उन हवा मे घुली ख़ुशबुओं मे कभी उलझ जाया करती हूँ
तू जो नहीं वहाँ, हवाओं से बातें कर आया करती हूँ
अब भी  प्यार की चोखट पर मैं  रोज़ जाया करती हूँ

तेरे न होने का भी अब ग़म नहीं होता
ये दिल भी तेरे जाने से अब पलके नहीं भिगोता
ये खुली आँखें देख तो चाँद भी नहीं सोता
ऐसा भी क्या दिल पथर हुआ जो एक आंसून नहीं रोता

खुली आँखों से भी रब से इक फर्याद कर लेती हूँ
इक बार तो होगी मुलाक़ात एतबार कर लेती हूँ
हर रोज़ चोखट पर बैठ इंतज़ार कर लेती हूँ
कभी तो आएगा मेरा प्यार, इख्त्यार कर लेती हूँ

बस रब है ओर ये इश्क़ है

लोग कहते है रब सब से ऊंचा है
मैं कहती हूँ प्यार भी कुछ कम नहीं
रब ने इंसान प्यार के लिए बनाया है
फिर इसमे खुशियाँ मिलें या चाहे ग़म सही
क्यूँ हम नासमज समज नहीं पाते
हम इस प्यार से है, ये प्यार हुमसे नहीं
कभी मैं न रहूँ, या फिर वो न रहे
ये प्यार ऐसी चीज़ है जिसका मिटना संभव नहीं

Pehla Pegam Khoobsurat Aurato Ke Naam

घर मे खुशिया लानें वाली इक बेटी हूँ मैं
मैं हाथ बटाकर माँ का अच्छी बेटी तो बन जाती हूँ
पर जैसे ही बड़ी हुई किसी और को सोंप दी जाती हूँ

भाई की कलाई सजाने वाली इक बहन  हूँ मैं 
मैं अपनी ज़िन्दगी कुर्बान भाईओं पे कर देती हूँ
कोई कमी न हो उनको खाली हाथ ही जी लेती हूँ

घर को सजाने वाली इक पत्नी हूँ मैं
मैं किसी के हाथों मै अपनी इज्ज़त तक दे देती हूँ
उन्ही हाथों से खुद पर हुआ हर सितम बी सह लेती हूँ

इस संसार को जनने वाली, इक माँ  हूँ मै
मैं हर पल हर लम्हा दुसरो के लिए जीती हूँ
फिर भी हर गम मे अकेले आंसूं पीती हूँ

ये सब किरदार निभाने वाली इक औरत हूँ मैं 
मुझे हर राह हर मोड़ पर क़ुरबानी देना आता है
जो छाओं न हो पास धुप को भी झेलना आता है
वक़्त पड़ने पर मैं, आग बी बन सकती हूँ
जो कबी हो ग़म की बारिश तो छत भी बनना आता है