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Thursday 27 June 2013

जब तनहा चलते राहों में कोई सहारा मिल जाता है
जैसे बटकी हुई नाव को किनारा मिल जाता है
कहते है जोड़िया ऊपर से बनकर आती है
तब वो ऊपर छुटा साथी यहाँ दोबारा मिल जाता है

Monday 24 June 2013

जब प्यार से ही प्यार होने लगा, सोचा ज़िन्दगी को चाहतों से सजा लूँ
जब चाहते खाबों में पूरी होने लगी, सोचा खाबों को ही ज़िन्दगी बना लूँ

Inspiration


एक रास्ता ख़त्म हो, नई राह खुद भ खुद तो नहीं बन जाती
अँधेरा छाया हो चारो और, रौशनी खुद तो चलकर नहीं आती
यूँ तो इतना भी मुश्किल नहीं मुश्किलों को पार करना
क्यूंकि रास्ते भी तब तक चलते रहते है जब तक मंजिल नहीं मिल जाती

Saturday 22 June 2013

चाहतें

कभी यूँ सिमट कर खुद में ही, आगे बढ़ने की चाहत होती है
तो कभी युहीं टूट कर भिखर जाने को दिल चाहता है

कभी मुस्कराहट लेकर होठों पर, खुश होने की चाहत होती है
तो कभी अकेले में आंसू बहाने को दिल चाहता है

चाहतो का क्या जो कभी ख़तम ही ना  हुई
इसमें तो ख़ुशी और गम दोनों को पनाह मिली है

कभी समेट कर इन चाहतो को, छोड़ देने की चाहत होती है
तो कभी खोकर चाहतों में जी जाने को दिल चाहता है

Tuesday 18 June 2013

आज फिर रोई क्यूंकि वो सच सामने आया जिसे जुठ्लाती जा रही थी
आज फिर रोई क्यूंकि वो चेहरा सामने आया जिसे खुद से छुपाती जा रही थी
आज आंखें भरी क्यूंकि उसी ने जवाब माँगा जिसके सहारे खड़ी थी
आज फिर रोई क्यूंकि कोई सपनो में बना महल टूट गया
आज फिर रोई क्यूंकि किसी ने मीठी नींद से जगा दिया
आज रोई क्यूंकि कोई समजने वाला नहीं था
आज रोई क्यूंकि कोई समजाने वाला नहीं था, कोई बहलाने वाला नहीं था
आज फिर रोई क्यूंकि कोई सँभालने वाला नहीं था

Sunday 16 June 2013

कोई तो समज पाता मतलब कदम मिलाने का

काश कोई तो समज पाता, मलतब दुनिया में आने का
सिर्फ अपने लिए जीने को तो ज़िन्दगी नहीं कहते
काश कोई तो समज पाता, मतलब पाने और खोने का
सिर्फ दिखावे की चाहत को तो प्यार नहीं कहते
काश कोई तो समज पाता, मतलब कदम मिलाने का
सिर्फ साथ में चलते राही तो हमसफ़र नहीं कहलाते

Saturday 15 June 2013

कोई दीवाना कहाँ बनता

दिल ने इज़ाजत जो रब से ली न होती, तो कोई दीवाना कहाँ बनता
आँखों ने बात जो आँखों से की न होती, तो कोई नजराना कहाँ बनता
गलतिया करने का यूँ तो दिल शोकीन होता है
पर ये खता जो दिल ने की न होती, तो कोई अफसाना कहाँ बनता

यादें ओर ये इंतज़ार

तेरी यादों को बीतें लम्हो से छीन लाया करती हूँ
उन हवा मे घुली ख़ुशबुओं मे कभी उलझ जाया करती हूँ
तू जो नहीं वहाँ, हवाओं से बातें कर आया करती हूँ
अब भी  प्यार की चोखट पर मैं  रोज़ जाया करती हूँ

तेरे न होने का भी अब ग़म नहीं होता
ये दिल भी तेरे जाने से अब पलके नहीं भिगोता
ये खुली आँखें देख तो चाँद भी नहीं सोता
ऐसा भी क्या दिल पथर हुआ जो एक आंसून नहीं रोता

खुली आँखों से भी रब से इक फर्याद कर लेती हूँ
इक बार तो होगी मुलाक़ात एतबार कर लेती हूँ
हर रोज़ चोखट पर बैठ इंतज़ार कर लेती हूँ
कभी तो आएगा मेरा प्यार, इख्त्यार कर लेती हूँ

बस रब है ओर ये इश्क़ है

लोग कहते है रब सब से ऊंचा है
मैं कहती हूँ प्यार भी कुछ कम नहीं
रब ने इंसान प्यार के लिए बनाया है
फिर इसमे खुशियाँ मिलें या चाहे ग़म सही
क्यूँ हम नासमज समज नहीं पाते
हम इस प्यार से है, ये प्यार हुमसे नहीं
कभी मैं न रहूँ, या फिर वो न रहे
ये प्यार ऐसी चीज़ है जिसका मिटना संभव नहीं

Pehla Pegam Khoobsurat Aurato Ke Naam

घर मे खुशिया लानें वाली इक बेटी हूँ मैं
मैं हाथ बटाकर माँ का अच्छी बेटी तो बन जाती हूँ
पर जैसे ही बड़ी हुई किसी और को सोंप दी जाती हूँ

भाई की कलाई सजाने वाली इक बहन  हूँ मैं 
मैं अपनी ज़िन्दगी कुर्बान भाईओं पे कर देती हूँ
कोई कमी न हो उनको खाली हाथ ही जी लेती हूँ

घर को सजाने वाली इक पत्नी हूँ मैं
मैं किसी के हाथों मै अपनी इज्ज़त तक दे देती हूँ
उन्ही हाथों से खुद पर हुआ हर सितम बी सह लेती हूँ

इस संसार को जनने वाली, इक माँ  हूँ मै
मैं हर पल हर लम्हा दुसरो के लिए जीती हूँ
फिर भी हर गम मे अकेले आंसूं पीती हूँ

ये सब किरदार निभाने वाली इक औरत हूँ मैं 
मुझे हर राह हर मोड़ पर क़ुरबानी देना आता है
जो छाओं न हो पास धुप को भी झेलना आता है
वक़्त पड़ने पर मैं, आग बी बन सकती हूँ
जो कबी हो ग़म की बारिश तो छत भी बनना आता है