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Saturday, 15 June 2013

यादें ओर ये इंतज़ार

तेरी यादों को बीतें लम्हो से छीन लाया करती हूँ
उन हवा मे घुली ख़ुशबुओं मे कभी उलझ जाया करती हूँ
तू जो नहीं वहाँ, हवाओं से बातें कर आया करती हूँ
अब भी  प्यार की चोखट पर मैं  रोज़ जाया करती हूँ

तेरे न होने का भी अब ग़म नहीं होता
ये दिल भी तेरे जाने से अब पलके नहीं भिगोता
ये खुली आँखें देख तो चाँद भी नहीं सोता
ऐसा भी क्या दिल पथर हुआ जो एक आंसून नहीं रोता

खुली आँखों से भी रब से इक फर्याद कर लेती हूँ
इक बार तो होगी मुलाक़ात एतबार कर लेती हूँ
हर रोज़ चोखट पर बैठ इंतज़ार कर लेती हूँ
कभी तो आएगा मेरा प्यार, इख्त्यार कर लेती हूँ

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