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Saturday 15 June 2013

Pehla Pegam Khoobsurat Aurato Ke Naam

घर मे खुशिया लानें वाली इक बेटी हूँ मैं
मैं हाथ बटाकर माँ का अच्छी बेटी तो बन जाती हूँ
पर जैसे ही बड़ी हुई किसी और को सोंप दी जाती हूँ

भाई की कलाई सजाने वाली इक बहन  हूँ मैं 
मैं अपनी ज़िन्दगी कुर्बान भाईओं पे कर देती हूँ
कोई कमी न हो उनको खाली हाथ ही जी लेती हूँ

घर को सजाने वाली इक पत्नी हूँ मैं
मैं किसी के हाथों मै अपनी इज्ज़त तक दे देती हूँ
उन्ही हाथों से खुद पर हुआ हर सितम बी सह लेती हूँ

इस संसार को जनने वाली, इक माँ  हूँ मै
मैं हर पल हर लम्हा दुसरो के लिए जीती हूँ
फिर भी हर गम मे अकेले आंसूं पीती हूँ

ये सब किरदार निभाने वाली इक औरत हूँ मैं 
मुझे हर राह हर मोड़ पर क़ुरबानी देना आता है
जो छाओं न हो पास धुप को भी झेलना आता है
वक़्त पड़ने पर मैं, आग बी बन सकती हूँ
जो कबी हो ग़म की बारिश तो छत भी बनना आता है

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