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Tuesday 30 July 2013

मेरी हर मुस्कराहट को मुस्कराहट मत समझना
हस्ती हूँ कभी मै ग़म को छुपाने के लिए
कोई उदास देखकर मुझको कहीं उदास न हो जाए
छुपाती हूँ खुद को कभी आंसूं छुपाने के लिए

Friday 26 July 2013

क्या गलत है

ये दुनिया की राहें मुझे बांध लेती है
मैं छूट जाऊ जब इनसे तो उड़ पाती हूँ
अपने दिल की सुन लूँ तो आगे बढ़ पाती हूँ
एक ही रास्ते पर हर कोई तो नहीं चल सकता
कोई अलग बना लूँ रास्ता तो क्या गलत है
जो किसी एक ने कर लिया हासिल हर कोई तो नहीं कर सकता
किसी और चीज़ की हो चाहत तो क्या गलत है
दुनिया में ही रहना है जानती हूँ मैं
पर अपने तरीके से जी लूँ तो क्या गलत है
मुझे नहीं  दोडना दुनिया की दिशा हीन सी दोड़ में
आराम से चल कर पार कर लूँ रास्ते तो क्या गलत है

Thursday 25 July 2013

फिकर है

जो दिल पर जखम है उसे संवारने में पूरी ज़िन्दगी निकल जानी है
और गहरे न हो घाव इतनी सी फिकर है
बह गए है अब तो आंसू भी बेहिसाब
सूख न जाए आंखें इतनी सी फिकर है

Tuesday 23 July 2013

सोई रहूँ काश मैं

सोई रहूँ काश मैं कुछ ख़ाब बहुत सुहाने है  
न जगाना मुझे इस नींद से कुछ ख़ाब बहुत पुराने है
मुज सपनो में जीने वाली से कहाँ हकीक़त में जीया जाएगा
ये हकीक़त मुझे डराती है कहाँ ज़हर ये पीया जाएगा

Monday 22 July 2013

कभी धुप कभी छाओं में मुझे सहारा मिल जाता है
डूभ जाती है नाव कभी, कभी किनारा मिल जाता है
यूँ तो भरी रहती है आंखें बिना बात के भी
चोट जो लगे कभी रोने का बहाना मिल जाता है
अधूरे छूटे शब्धो को जो वो पूरा करदे
बेरंग से पड़े है गीत कुछ, उनमे जो रंग भर दे
अनकही सी बातें कुछ यूँ बिना कहें ही हो जाएं
रुक जाए बात जो होठों पर, वो बात वो ही करदे

Thursday 18 July 2013

बेहतर है आंसुओं को मोती बने ही रहने दूँ
जो किसी के सामने भर आयी आंखें, तो आंसूं पानी ना बन जाए
बेहतर है जज्बातों को अपने तक ही रहने दूँ
जो बता दिए किसी बेकदर को, इनकी कदर ना कम हो जाए
बेहतर है ज़िन्दगी को अपने तरीके से जीने दूँ
जो किसी और को थमा दी ज़िन्दगी, तो ज़िन्दगी जीना न भूल जाए
बेहतर है ज़िन्दगी को सपने में ही रहने दूँ
आंख खुली कभी तो ज़िन्दगी कटने तक न रह जाये
हर मोड़ ज़िन्दगी का मंजिल नहीं होती
उस मोड़ को पार कर एक नया रास्ता है
जो नज़रिया छोटा हो तो एक हार भी नाकाम कर जाती है
ज़रा रब की नज़र से देखो, शुरू नई दास्ताँ हर इम्तेहान के बाद होती है

Tuesday 16 July 2013

जब नींद  ना आए कभी तो मुझे याद न करना
आंसूं बनकर शयद पलकों में उतर जाउंगी
कभी बेचेन जो हो दिल तो मुझे याद न करना
अब ख्यालो के सिवा कहीं और न आ पाऊँगी
कभी खाबों में भी मुझसे अब प्यार न करना
कुछ भी और नहीं बस इक दर्द देकर जाउंगी
कभी सोच कर मेरे बारे में खुद को परेशान न करना
तुम्हे उदास देख खुद को भी संभाल नहीं पाऊँगी
धोखा दिया है तुमको ये ऐतबार न करना
अब भी तुज संग राहों को मंजिल तक पहुन्चौंगी
जब नींद न आए कभी तो मुझे याद न करना
आंसूं बनकर शयद पलकों में उतर जाउंगी
हर हंसी को कहीं ख़ुशी ना समज लेना, मुस्कराहटें तो अक्सर गम छुपाने के काम आती है

Friday 12 July 2013

ज़िन्दगी जीना भूल गए

ज़िन्दगी काटने में इतना वक़्त निकल गया
के जीने का तो कभी मोका ही नहीं मिला
और जब जीने का पाठ समज में आया
तो देखा ये किताब तो शुरू से अपने ही हाथ में थी
हवाओं के झोंको ने बस पन्ने पलट दिए
और खुद की खता भी देखो इतनी हिम्मत भी न थी के उन पन्नो को वापिस पलट दे
हिम्मत कर जो उन पन्नो को पलट कर देख लिया होता तो आज शयद खुद से कोई शिकायत नहीं होती
ज़िन्दगी हर मोड़ पर कुछ न कुछ सिखाया करती है
हसाती है कभी खुल के कभी चुपके से रुलाया करती है
कितना वक़्त हो गया हमे ज़िन्दगी के साथ चलते हुए
फिर भी क्यूँ कुछ ऐसा है जो ज़िन्दगी हमसे छुपाया करते है
कभी अकेले होकर भी कोई साथ महसूस होता है
ये भीड़ में तनहा दिल भी कहाँ महफूज़ होता है
कभी देखूं जहाँ में के दर्द कितने हैं
उतने आशिक नहीं हैं शायद, बेदर्द जितने हैं


Saturday 6 July 2013

आंखें नहीं करती अज्नबीओं से बात


कभी गौर से देखना आँखों में तो उदासी नज़र आएगी
चेहरे की मुस्कराहट तो धोखा दे जाती है
ये आंखें ढूंड रही हैं बस एक ही चेहरे को
कहने को तो हजारो चेहरे आँखों से गुज़र जाते हैं

दिल की बातों को दिल में मैं इसलिए रखती हूँ
के कहाँ किसी अजनबी को इनकी कदर होती है
जो कोई समजता दिल को, तो आंखें ही कर लेती आँखों से बात
के लफ्जों की जरूरत तो अज्नाबीओं को होती है

Thursday 4 July 2013

खबर नहीं

कुछ ऐसी राहों पर हम चल रहे हैं
जिनकी मंजिल क्या है ये तक खबर नहीं
ये जो लम्हा है वो गुज़र ही जाना है
कैसा होगा अगला लम्हा ये तक खबर नहीं
क्यूँ उदास है दिल न जाने क्या बेचेनी है
किस चीज़ की है परवाह ये तक खबर नहीं

Wednesday 3 July 2013

Zindagi

क्यूँ ज़िन्दगी कभी तू इतनी मुश्किल होती है
हसाती है कभी इतना कभी क्यूँ इतनी उदास होती है
वजह हो रोने की तो दिल को समझा भी  लूँ
पर बिन वजह आय आंसुओं का खुद को क्या जवाब दूँ

इंतज़ार है किसी का दिल को या कुछ खुद से हुई गलतिया है
न जाने क्या बेचेनी है दिल में कभी समज नहीं पाती
लोगो में हसना और अकेले में रोना सीख लिया है
पर वजह हसने रोने की कभी समज नहीं आती