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Saturday 6 July 2013

आंखें नहीं करती अज्नबीओं से बात


कभी गौर से देखना आँखों में तो उदासी नज़र आएगी
चेहरे की मुस्कराहट तो धोखा दे जाती है
ये आंखें ढूंड रही हैं बस एक ही चेहरे को
कहने को तो हजारो चेहरे आँखों से गुज़र जाते हैं

दिल की बातों को दिल में मैं इसलिए रखती हूँ
के कहाँ किसी अजनबी को इनकी कदर होती है
जो कोई समजता दिल को, तो आंखें ही कर लेती आँखों से बात
के लफ्जों की जरूरत तो अज्नाबीओं को होती है

2 comments:

  1. kya baat hai... bht shi likha hai mam 'jo koi samjta dil ko to ankhein hi kr leti aankhon se baat'

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  2. Love the line, Lafzo ki jarurat to ajnabion ko hoti hai. (Y)

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