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Friday, 26 July 2013

क्या गलत है

ये दुनिया की राहें मुझे बांध लेती है
मैं छूट जाऊ जब इनसे तो उड़ पाती हूँ
अपने दिल की सुन लूँ तो आगे बढ़ पाती हूँ
एक ही रास्ते पर हर कोई तो नहीं चल सकता
कोई अलग बना लूँ रास्ता तो क्या गलत है
जो किसी एक ने कर लिया हासिल हर कोई तो नहीं कर सकता
किसी और चीज़ की हो चाहत तो क्या गलत है
दुनिया में ही रहना है जानती हूँ मैं
पर अपने तरीके से जी लूँ तो क्या गलत है
मुझे नहीं  दोडना दुनिया की दिशा हीन सी दोड़ में
आराम से चल कर पार कर लूँ रास्ते तो क्या गलत है

7 comments:

  1. are autograph toh mujhe mila hi nahin

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  2. autograph email se kaise send kr skti hun...jab miloge tab dungi autograph

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  3. Dis is awsum..realy u write so well :-)

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  4. last lines are too good razia, araam se chal kar raasta paar kar lun to kya galat hai......very nice.

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