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Tuesday, 23 July 2013

सोई रहूँ काश मैं

सोई रहूँ काश मैं कुछ ख़ाब बहुत सुहाने है  
न जगाना मुझे इस नींद से कुछ ख़ाब बहुत पुराने है
मुज सपनो में जीने वाली से कहाँ हकीक़त में जीया जाएगा
ये हकीक़त मुझे डराती है कहाँ ज़हर ये पीया जाएगा

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