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Monday, 24 June 2013

जब प्यार से ही प्यार होने लगा, सोचा ज़िन्दगी को चाहतों से सजा लूँ
जब चाहते खाबों में पूरी होने लगी, सोचा खाबों को ही ज़िन्दगी बना लूँ

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