वो अक्सर मुझसे आकार खाबों में मिला करता है
मेरे आंसुओं को कभी मुस्कराहट में बदल दिया करता है
क्या हुआ जो चेहरा उसका देख नहीं पाती
एहसास तो उसका हर वक़्त पास ही रहता है
क्या हुआ जो बातें उसकी सुन नहीं पाती
प्यार का इजहार तो हर वक़्त खास ही रहता है
वो अक्सर आकार खाबों में मुझसे बातें किया करता है
ज़िन्दगी को खाबों की तस्वीर बना दिया करता है
कभी पूछती हूँ उससे क्या सिर्फ खाबों में मिलोगे तुम
जवाब में वो मुझको उलझा सा दिया करता है
जो ज़िन्दगी में आ गया मैं तो ख़ाब किसके देखोगी
मुझमे मंजिल पा गई तो राह किसकी देखोगी
खाबों में आया हूँ तो ज़िन्दगी में भी आऊंगा
वक़्त की मार है तुझे फिर कभी सम्जाऊंगा
जिस राह पे चल रही है उस राह पे चलती रह
मिलूँगा तुझे इन्ही पर ऐतबार करती रह
अभी ख़ाब का हिस्सा हूँ, कभी ज़िन्दगी का बन जाऊंगा
कैसा ये रिश्ता है अपना तुझे तब समझा पाउँगा
Razia Garg significa - una poetisa que guarda en su interior secreto
ReplyDeletelo que escrito aquí es estupenda
ReplyDeleteThnks Avnish nd there are no secrets :)))
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ReplyDeleteI love this one, specially the last 8 lines!
ReplyDeleteThnks Nishant...even i love these lines.
Deleteamazing
ReplyDeleteThanks sir :)
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