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Tuesday, 4 March 2014



वो अक्सर मुझसे आकार खाबों में मिला करता है
मेरे आंसुओं को कभी मुस्कराहट में बदल दिया करता है
क्या हुआ जो चेहरा उसका देख नहीं पाती
एहसास तो उसका हर वक़्त पास ही रहता है
क्या हुआ जो बातें उसकी सुन नहीं पाती
प्यार का इजहार तो हर वक़्त खास ही रहता है

वो अक्सर आकार खाबों में मुझसे बातें किया करता है
ज़िन्दगी को खाबों की तस्वीर बना दिया करता है
कभी पूछती हूँ उससे क्या सिर्फ खाबों में मिलोगे तुम
जवाब में वो मुझको उलझा सा दिया करता है

जो ज़िन्दगी में आ गया मैं तो ख़ाब किसके देखोगी
मुझमे मंजिल पा गई तो राह किसकी देखोगी
खाबों में आया हूँ तो ज़िन्दगी में भी आऊंगा
वक़्त की मार है तुझे फिर कभी सम्जाऊंगा
जिस राह पे चल रही है उस राह पे चलती रह
मिलूँगा तुझे इन्ही पर ऐतबार करती रह
अभी ख़ाब का हिस्सा हूँ, कभी ज़िन्दगी का बन जाऊंगा
कैसा ये रिश्ता है अपना तुझे तब समझा पाउँगा

9 comments:

  1. Razia Garg significa - una poetisa que guarda en su interior secreto

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  2. lo que escrito aquí es estupenda

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  3. Thnks Avnish nd there are no secrets :)))

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  6. I love this one, specially the last 8 lines!

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