मन करता है कभी रोऊ इतना के कोई आंसूं पोंछने भी न आए
चिल्लाऊँ इतना के कोई सुन ही न पाए
इतना कहू के कोई समजना न चाहे
इतने करू सवाल के कोई जवाब न मिल पाए
कभी मन करता है छोड दूँ खुद को
बहने दूँ
गिर जाने दूँ
चोट खाने दूँ और फिर
और फिर बस ख़तम हो जाने दूँ
बस अब चल तो ली अकेली
अब और कितना
जी भी ली अकेली
अब और कितना
इससे अच्छा शायद वो दूसरा जहाँ होगा
कोई उम्मीद तो न होगी किसी से
न कोई बहाना होगा
न कोई बहाना हसने का
न कोई बहाना रोने का
न कोई बहाना आंसुओं को आँखों में रख लेने का
न कोई बहाना कुछ ज़ादा हस लेने का
न कोई बहाना न कोई सवाल होगा
न कोई सवाल न कोई जवाब होगा
बस चुप सी होगी ज़िन्दगी
बिना किसी उम्मीद के बड़ी चुप सी होगी ज़िन्दगी
चिल्लाऊँ इतना के कोई सुन ही न पाए
इतना कहू के कोई समजना न चाहे
इतने करू सवाल के कोई जवाब न मिल पाए
कभी मन करता है छोड दूँ खुद को
बहने दूँ
गिर जाने दूँ
चोट खाने दूँ और फिर
और फिर बस ख़तम हो जाने दूँ
बस अब चल तो ली अकेली
अब और कितना
जी भी ली अकेली
अब और कितना
इससे अच्छा शायद वो दूसरा जहाँ होगा
कोई उम्मीद तो न होगी किसी से
न कोई बहाना होगा
न कोई बहाना हसने का
न कोई बहाना रोने का
न कोई बहाना आंसुओं को आँखों में रख लेने का
न कोई बहाना कुछ ज़ादा हस लेने का
न कोई बहाना न कोई सवाल होगा
न कोई सवाल न कोई जवाब होगा
बस चुप सी होगी ज़िन्दगी
बिना किसी उम्मीद के बड़ी चुप सी होगी ज़िन्दगी
itne dard bhari lines ko padh kar mere aankhoon se aanshu nikal aaye, kitna rulayegi razia.......hasne hasaane wali poetry bhi likh diya kar ....
ReplyDeletewaise overall poetry was awesome.... :)
keep it up .... :)
Haha thnks avnish....next tym dhyan rakhungi :)
ReplyDelete