मैंने कई कहानिया सुनी थी बचपन में
वो दो प्रेमी हुआ करते थे
वो मिल नहीं पाते थे तो मर जाते थे
जान उनकी अपने बजाए एक दुसरे में रहती थी
चोट लगे एक को दुसरे की आंख बहती थी
वो बचपन था मैं सुनती थी समजती थी,
समज जादा नहीं आता था
पर जो सुनती थी जो सोचती थी
एक ख़ाब सा बन जाता था
बस यही समजा हर बार के कुछ प्यार जैसा होता है
छोटा सा शब्द है पर हर कहानी का हिस्सा होता है
रब की बनाई हर चीज़ में से सब से हसीन है
ये सब कहानिया वो ऊपर कहीं बनी है
बीत गया वो वक़्त जिसमे ख़ाब बनाए थे
पाँव रखा जब दुनिया में तो ढूंडा प्यार कहाँ है
मैंने कहानिया सुनी थी बचपन में,
वो कहानिओ के किरदार कहाँ हैं
फिर वो कुछ लोग मिले जो प्यार की बातें करते थे
मैं समजी शयद वोही है जो वो कहनिया बुना करते थे
बीता कुछ वक़्त तो जाना वो कहानिया आज की कहाँ हैं
आज कल वो प्यार वाले बस वक़्त की बातें करते हैं
सब उलझे है अपने में, कहाँ दुसरो के लिए जीया करते है
उन कहानिओ को मैं अब भी बहुत याद किआ करती हूँ
बहुत आगे निकल आए हम, कभी पीछे मुड देख लिया करती हूँ
काश वो कहानिओ वाला वक़्त फिर से कहीं मिल जाए
मैं भी बनू इक किरदार उसका, इक और किरदार मिल जाए
थोडा ठहर जाए वक़्त भी
थोड़ी रफ़्तार धीमी हो
मुझे भी हो जाए प्यार
और इक कहानी मेरी हो